सेल्फाइटिस से सेल्फी कलाई तक बढ़ती बीमारियां

सेल्फाइटिस से सेल्फी कलाई तक बढ़ती बीमारियां

सेहतराग टीम

हाल ही में किए गए एक शोध में चेतावनी दी गई है कि जो लोग हाथ की लंबाई में कैमरे को पकड़कर और कलाई को अंदर की ओर मोड़कर बहुत सारी तस्वीरें खींचते हैं, उनमें ‘सेल्‍फी कलाई’ की समस्‍या पैदा हो जाती है। इस शोध में कई लोगों को शामिल किया गया जिसमें से एक ट्रम्पोलिन पर सेल्फी लेने वाला,  एक चट्टानों पर चलने वाला या फ‍िर ऐसे लोग शामिल थे जो किसी चीज पर ध्‍यान नहीं दे रहे थे और परिणाम गिरने या किसी चीज से टकराने के कारण कलाई टूटने के रूप में सामने आया।

‘सेल्फी कलाई’ ‘कार्पल टनल सिंड्रोम’ का एक रूप है। ऐसे लोग जो ‘सेल्फी कलाई’ की समस्‍या से पीड़‍ित होते हैं वो कलाई में एक झुनझुनी या तेज दर्द महसूस कर सकते हैं। ये स्थिति कलाई को अंदर की ओर घुमाने से या आपके फोन को लंबे समय तक एक स्थिति में पकड़े रहने से बनती है। माध्यिका तंत्रिका (मेडियन नर्व) हमारे हाथ के अगले हिस्‍से से लेकर हथेली तक फैली होती है और ये कलाई में एक संकरे मार्ग से गुजरती है जिसे कार्पल टनल के रूप में जाना जाता है। इसी टनल में जब ये नर्व प्रभावित होती है तो ‘सेल्‍फी कलाई’ की स्थिति पैदा होती है।

इस बारे में बात करते हुए, हार्टकेयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष पद्म श्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी लगातार दूसरों की सराहना और स्‍वीकृति चाहती है। ये युवा दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि जैसा वो कर रहे हैं वैसा कोई और नहीं कर सकता। इसी चक्‍कर में सेल्फी लेने में जितनी हिम्मत दिखाई जाए आभासी दुनिया में उतनी ही तारीफ मिलती है। इस तरह की सेल्फी उन्हें अपने साथियों के समूह में त्‍वरित स्वीकृति दिलाती है। हम एक ऐसे युग में हैं जहां मोबाइल फोन के आसपास ही जीवन घूम रहा है और वास्तविक मानव संपर्क लगभग न के बराबर है। हालांकि तकनीक ने जीवन को आसान बना दिया है मगर इसकी एक सीमा भी है। सेल्‍फी लेना और कई विकृतियों का सामना करना जिसमें सेल्‍फी कलाई शामिल है इसी का नतीजा है।

पिछले दो वर्षों में दुनिया भर में सेल्फी का विस्फोट हुआ है। 
ऑक्‍सफोर्ड डिक्‍शनरी के अनुसार, ‘स्‍मार्टफोन या वेबकैम के जरिये खुद से अपनी तस्‍वीर उतारने और उसे सोशल मीडिया के जरिये साझा करने को सेल्‍फी के रूप में परिभाषित किया गया है।’ दुनिया भर में बड़ी संख्या में मृत्यु और महत्वपूर्ण बीमारियों को सेल्फी से जोड़ा  रहा है। 
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि इस डिजिटल युग में, अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी मॉडरेशन यानी तकनीक का मध्यम उपयोग होना चाहिए। हम में से बहुत से लोग ऐसे उपकरणों के गुलाम बन गए हैं जो वास्तव में हमें आजादी देने और हमें जीवन का अनुभव करने और लोगों के साथ अधिक समय बिताने का अवसर देने के लिए बने थे। जब तक एहतियाती उपाय जल्द से जल्द नहीं किए जाते, यह लत लंबी अवधि में किसी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
मोबाइल फोन के अधिक उपयोग के कारण होने वाली समस्याओं को रोकने के लिए कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:
• इलेक्ट्रॉनिक कर्फ्यू: इसका मतलब है कि सोने से 30 मिनट पहले किसी भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का उपयोग बंद कर दें।
• फेसबुक की छुट्टी: हर तीन महीने में 7 दिन के लिए फेसबुक से छुट्टी लें।
• सोशल मीडिया फास्ट: पूरे दिन के लिए सप्ताह में एक बार सोशल मीडिया के उपयोग से बचें
• अपने मोबाइल फोन का उपयोग केवल तब करें जब आप बाहर हों
• एक दिन में तीन घंटे से अधिक कंप्यूटर का उपयोग न करें।
• अपने मोबाइल टॉक टाइम को एक दिन में दो घंटे से अधिक तक सीमित रखें।
• अपने मोबाइल की बैटरी को एक दिन में एक से अधिक बार रिचार्ज न करें।

• मोबाइल भी अस्पताल में संक्रमण का एक स्रोत हो सकता है; इसलिए, इसे हर दिन कीटाणुरहित किया जाता है।

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